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सैम हॉरमुसजी फेमजी जमशेदजी मानेकशॉ sammanekshow

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 Sam Hormusji Framji Jamshedji Manekshaw

सैम हॉरमुसजी फेमजी जमशेदजी मानेकशॉ (अंग्रेज़ी: Sam Hormusji Framji Jamshedji Manekshaw) (3 अप्रैल 1914 – 27 जून 2008) जिन्हें सैम बहादुर (Sam the Brave) के नाम से भी जाना जाता है, 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भारतीय सेना के सेनाध्यक्ष थे और फील्ड मार्शल का पद धारण करने वाले पहले भारतीय सैन्य अधिकारी थे। उनकी सक्रिय सैन्य करियर द्वितीय विश्वयुद्ध से आरंभ होकर चार दशकों और पाँच युद्धों तक विस्तृत रहा।

 मानेकशॉ 1932 में भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून के पहले दल में शामिल हुए थे। उन्हें 12वीं फ्रंटियर फोर्स रेजिमेंट की चौथी बटालियन में नियुक्त किया गया था। द्वितीय विश्व युद्ध में वीरता के लिए उन्हें मिलिट्री क्रॉस से सम्मानित किया गया था। 1947 में भारत के विभाजन के बाद, उन्हें 8वीं गोरखा राइफल्स में फिर से नियुक्त किया गया। 1947 के भारत-पाकिस्तान युद्ध और हैदराबाद संकट के दौरान मानेकशॉ को योजना बनाने की भूमिका सौंपी गई, परिणामस्वरूप उन्होंने कभी पैदल सेना (Infantry) बटालियन की कमान नहीं संभाली। उन्हें सैन्य अभियान निदेशालय में सेवा के दौरान ब्रिगेडियर के पद पर पदोन्नत किया गया। वह 1952 में 167वें इन्फैंट्री ब्रिगेड के कमांडर बने और 1954 तक इस पद पर रहने के बाद उन्होंने सेना मुख्यालय में सैन्य प्रशिक्षण के निदेशक का पदभार संभाला।

सैम बहादुर, की जीवनी पर आधारित हिंदी फिल्म, हाल ही में प्रदर्शित हुए है। इस चलचित्र में विक्की कौशल ने सैम मानेक शो का किरदार बहुत ही प्रभावशाली तरीके से निभाया है । विक्की कौशल ने अपनी अभिनय क्षमता से सैम बहादुर के किरदार को जीवंत कर दिया। और दर्शकों को ये चालचित्र भारतीय सेना के शौर्य और वीरता , और हमारे बहादुर जवानों और ऑफिसरों के शौर्य से परिचित करवाती है ।



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