हमारे भारत में त्योहारों की एक विशिष्ट और समृद्ध परंपरा है, भारत में बहुत सारे पर्व और त्योहार आते हैं
Pongal
उत्तर भारत की तरह ही दक्षिण भारत का प्रमुख त्योहार पोंगल है इसे भी भगवान सूर्य देव के प्रति किसान अपनी कृतघ्नता प्रदर्शित करेने के लिए मानते है। यह भी फसलों के पकाने का प्रतीक है,और इसमें मवेशियों और घरेलू पशुओं की पूजा की जाती है।
Pongal पर्व में सूर्य की उपासना के अलावा खेती और मवेशी जो की कृषि संबंधी वस्तुओं कृषि संबंधी कार्यों में जिनका योगदान होता है उनकी पूजा की जाती है। कृषि यंत्रों की पूजा की जाती है तो खेतीहर लोग इसे पोंगल के नाम से मनाते हैं, और यह प्रायः चार दिन का उत्सव होता है।
Pongal
Pongalके पहले दिन को भोगी पंधाई के नाम से जाना जाता है। इस दिन घर की साफ सफाई करते हैं बेकार का सामान बाहर निकलकर अलाव जलते हैं और इंद्रदेव की पूजा अर्चना करते हैं इंद्रदेव जी की वर्षा के देवता माने जाते हैं पोंगल का दूसरा दिन सबसे महत्वपूर्ण होता है इसे थाई पोंगल के नाम से जाना जाता है इस दिन भगवान सूर्य देव की पूजा अर्चना की जाती है और पोंगल का तीसरा दिन भी महत्वपूर्ण है, इस दिन घर के मवेशियों की पूजा की जाती है और उनकी खेती और घरेलू समृद्धि के में उनके दिए हुए सहयोग का के प्रति श्रद्धा करता प्रकट की जाती है।
Pongal पोंगल दक्षिण भारतीय तमिल हिंदुओं के द्वारा बनाए जाने वाला प्रमुख त्यौहार है यह है प्रत्येक वर्ष जनवरी में 14 से 18 जनवरी के बीच बनाया जाता है यह दिवसीय त्यौहार है पोंगल का शाब्दिक अर्थ उबालना है या नए साल की शुरुआत है मान्यताओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि पोंगल के बाद से ही तमिल नया साल शुरू होता है
पोंगल चार दिनों तक मनाए जाने वाला पर्व है जो क्रमश है इस प्रकार माना जाता है। प्रथम दिवस भोगी Pongal द्वितीय दिवस सूर्य पोंगल और तृतीय दिवस मट्टू पोंगल या कन्या पोंगल के नाम से जाना जाता है। पहले दिन भोगी पोंगल में इंद्रदेव की पूजा की जाती है और उनसे अच्छी वर्षा करने की लिए कामना की जाती है और उन्हें धन्यवाद दिया जाता है अच्छी वर्षा करने के लिए उन्हें धन्यवाद दिया जाता है।
दूसरे दिन सूर्य की पूजा होती है इसमें चावल और मूंग के पकवान बनाकर सूर्य भगवान को अर्पित किए जाते हैं। और उन सभी पकवानो को सूर्य देव का आशीर्वाद मानकर सभी ग्रहण करते है। यह दिन सूर्य के प्रति समर्पित है उनके द्वारा दिए गए प्रकाश के लिए उन्हें धन्यवाद दिया जाता है।
तीसरे दिन को महत्वपूर्ण के नाम से जाना जाता है मट्टू पोंगल, यह भगवान शिवजी के प्रमुख वाहन नंदी को समर्पित है क्योंकि खेती में बैलों की उपयोगिता सभी से सभी परिचित हैं। पौराणिक काल से हमारे भारत में बैलों के द्वारा ही खेती की जाती है तो यह दिन घर के पशुओं की पूजा अर्चना उन्हें नहला-धुला कर उनकी पूजा अर्चना की जाती है।
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