Makar Sankranti पूरे भारतवर्ष में मनाए जाने वाला एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्यौहार है
इस दिन सूर्य इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है,, इसलिए यह त्यौहार मनाया जाता है। इस दिन सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करता है ,यह त्यौहार संपूर्ण भारत में विभिन्न नाम के साथ मनाया जाता है।
तमिलनाडु में इसे पोंगल के नाम से मनाया जाता है,और बाकी दक्षिण भारत में इसे संक्रांति ही कहा जाता है कुछ स्थानों परइसे तल संक्रांत या तिल संक्रांति भी कहते हैं। गुजरात में Makar Sankranti को उतरायण के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि उसे दिन से भगवान सूर्य उत्तर दिशा की ओर गमन करते हैं।
यह वैसे प्राकृतिक क्रिया है, भारत के काफी हिस्सों में इस दिन पतंगबाजी की जाती है और लोग एक दूसरे को मिठाइयों का आदान-प्रदान करते हैं जिनमें से मुख्यतया मिठाइयां तिल और मूंगफली और गुड़ की बनी भी होती है
संक्रांति एवं मान्यताएं: Makar Sankranti
ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान भास्कर अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उसके घर जाते हैं, और क्योंकि शनि देव मकर राशि के स्वामी हैं, अतः इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है।
और ऐसा माना जाता है कि मकर संक्रांति के दिन ही गंगा जी भागीरथ के पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई सागर में जाकर मिली थी। अतः Makar Sankranti का महत्व पौराणिक और ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। मकर संक्रांति के अवसर पर गंगा स्नान और गंगा तट पर धन को अत्यंत शुभ माना गया है।
भारत के अलावा नेपाल में भी Makar Sankranti को बहुत धूमधाम से मनाया जाता है, नेपाल में इसे खिचड़ी संक्रांति या मांगी संक्रांति के नाम से जाना जाता है। नेपाल में इस दिन सरकार के द्वारा सार्वजनिक छुट्टी की जाती है थारू समुदाय का यह सबसे प्रमुख त्यौहार है
नमस्कार आप सभी पाठकों का इस पोस्ट को पढ़ने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद, इस पोस्ट में लिखे गए सारे तथ्य और सूचनाएं इंटरनेट के माध्यम से एकत्रित की गई है अगर इनमें कोई त्रुटि पाई जाती है तो वेबसाइट इसकी जिम्मेदार नहीं होगी। बहुत-बहुत धन्यवाद ।